दशलक्षण धर्म में उत्तम मार्दव धर्म की विशेष पूजा अर्चना की गई
■ दशलक्षण धर्म में उत्तम मार्दव धर्म की विशेष पूजा अर्चना की गई
■वात्सल्य वारिधि आचार्य वर्धमान सागर महाराज का अवतरण दिवस मनाया जाएगा
विश्वास पारीक-
निवाई -(आल टाइम ब्रेकिंग) सकल दिगम्बर जैन समाज के तत्वावधान में दिगम्बर जैन बड़ा मंदिर में दश लक्षण धर्म के तहत शुक्रवार को शहर के सभी दिगम्बर जैन मंदिरों में उत्तम मार्दव धर्म की विशेष पूजा अर्चना के साथ पर्युषण पर्व का शुभारंभ किया गया जिसमें निवाई के आठों जैन मंदिरों में श्रद्धालुओं ने विधिवत मंत्रोच्चार द्वारा पूजा आराधना की। जैन समाज के प्रवक्ता विमल जौंला, राकेश संधी एवं मोहित चंवरिया ने बताया कि श्री दिगम्बर जैन बड़ा मंदिर में विधानाचार्य पण्डित सुरेश शास्त्री एवं निर्मल जैन के सानिध्य में ऋषि मण्डल विधान का आयोजन किया गया जिसमें श्रद्धालु 10 दिनों में 500 श्री फल अर्ध्य चढ़ाकर पुण्यार्जन करेंगे। जौंला ने बताया कि बिचला जैन मंदिर में विधानाचार्य सुधीर जैन के मंत्रोच्चार द्वारा भगवान सुपार्श्वनाथ जी एवं शांतिनाथ जी के अभिषेक एवं शांतिधारा करने का सौभाग्य अशोक कुमार जैन एवं मूलचंद जैन को मिला। सुपार्श्वनाथ जी की शांतिधारा करने का सौभाग्य पवन जैन बड़ागांव को मिला। वहीं बिचला मंदिर में दशलक्षण धर्म मण्डल विधान आयोजित किया गया जिसमें सोधर्म इन्द्र अशोक कुमार जैन को ऋषि मण्डल विधान पर श्री फल चडा़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इसके पश्चात मण्डल पर पांच मंगल कलश की स्थापना हुई। विधान के बीच गायक विमल जौंला एवं गायिका मधु माधोराजपुरा ने भजनों की प्रस्तुतियां दी जिसमें श्रद्धालुओं ने जमकर भक्ति नृत्य किए। इसी प्रकार नसियां जैन मंदिर, बिचला जैन मंदिर, शांतिनाथ जैन मंदिर, पार्श्वनाथ जैन मंदिर शिवाजी कालोनी सहित सभी जैन मंदिरों में दशलक्षण धर्म की विशेष पूजा आराधना की, पूजा अर्चना के पश्चात अनेक धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस अवसर पर जैन धर्म प्रचारक विमल जौंला ने कहा कि उत्तम मार्दव धर्म अपने आप की सही वृत्ति को समझने का माध्यम है। क्योंकि सभी को एक न एक दिन जाना ही है। तों यह सब परिग्रहों का त्याग करें। उन्होंने कहा कि धर्माराधना के दस भेदों के अन्तर्गत उत्तम मार्दव धर्म का दूसरा स्थान है। मानसिक कोमलता का नाम मार्दव है। चित्त में कोमलता और व्यवहार में नम्रता होना मार्दव धर्म है। निवाई के बिचला जैन मंदिर में शुक्रवार को उत्तम मार्दव धर्म के दिन अखिल भारतीय जैन धर्म प्रचारक विमल पाटनी जौंला एवं राकेश संधी ने कहा कि मार्दव का अर्थ है मान का नाश करना तथा मार्दव की आधारशिला विनय है। जिस प्रकार आधारशिला के अभाव में भवन का निर्माण होना, जड़ के अभाव में वृक्ष की स्थिति होना, बादल के अभाव में जल वृष्टि होना असम्भव है, उसी प्रकार दया के अभाव में मार्दव धर्म एवं सम्यगदर्शन की उत्पत्ति होना असम्भव है। मोक्ष की प्राप्ति विनम्रता में है। उत्तम मार्दव धर्म की प्राप्ति के लिए हमें मान कषाय को अपने से बाहर निकालना आवश्यक है इसका सरल उपाय है अभिमान नहीं करना। इस दौरान श्रावक श्रेष्ठी महावीर प्रसाद पराणा, मोहित चंवरिया, दिनेश चंवरिया, शंभु कठमाणा, त्रिलोक जैन सिरस, मूलचंद त्रिलोक चंद पांडया, राकेश संधी, दिनेश जैन, अशोक बिलाला, महेन्द्र संधी, जयकुमार जैन, चेतन चंवरिया, राजेश सांवलिया, रवि लुहाड़िया, अशोक सिरस, महेन्द्र चंवरिया, देवेन्द्र भाणजा, नेमीचंद सिरस शिखरचंद काला पदमचंद टोंग्या सुशील गिन्दोडी़, पवन बोहरा प्रेमचंद सोगानी, हेमराज नमक, संगीता संधी, शशी सोगानी, सपना संधी, खुश्बू लटुरिया, संजू जौंला, चंचल जैन, उर्मिला सोगानी, ने दशलक्षण धर्म की विशेष पूजा अर्चना कर पर्युषण पर्व मनाया। इस दौरान पर्युषण पर्व पर संगीतमय महाआरती का आयोजन किया गया जिसमें गायक विमल जौंला एवं मधु माधोराजपुरा ने संगीत के द्वारा पंचपरमेष्टी एवं शांतिनाथ भगवान की विशेष महाआरती करवाई गई। जौंला ने बताया कि टोंक में विराजमान वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज का 70 वां अवतरण दिवस मनाया जाएगा जिसमें निवाई से अनेक लोग कार्यक्रम में शामिल होंगे।
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